लालजी पटेल ने स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए को श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाने के लिए दलितों को उकसाया। उन्होंने कहा, “रामचरितमानस कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है। यह एक ऐसी किताब है, जिससे समाज में भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। यह पिछड़ी जाति और दलितों का अपमान करती है। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस का अपमान किया था | श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाने के लिए प्रसाद मौर्य और नौ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
लालजी पटेल ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा है कि , “यह किताब धार्मिक ग्रंथ नहीं है। तुलसीदास जी ने अपना विचार व्यक्त किया था। हिंदू धर्म के प्रचार के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारा धर्म हिंदू सनातन धर्म है। सनातन धर्म हजारों, लाखों वर्ष पुराना धर्म है और तुलसीदास जी की यह किताब 500 साल पुरानी है। यह कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि समाज को बाँटने वाली एक पुस्तक है। यह पिछड़े वर्ग के लोगों और दलितों को अपमानित करती है। होलिका दहन पर रामचरितमानस की प्रतियों को जलाया जाना चाहिए। तभी पिछड़े वर्ग के लोगों और दलितों को उनका अधिकार मिलेगा।”